- मयूरभंज में ग्रेनाईट पत्थर को तराशकर बनायी जा रही है प्रतिमा
- फरवरी में कुजू में विधिवत होगी स्थापित
जगदीप धनखड़ ने कहा, जिस गति से भारत आगे बढ़ रहा है… दुनिया अचंभित है…
प्रतिमा तराशने का कार्य अंतिम चरण में है : तामसोय
शहीद गंगाराम कालुंडिया प्रतिमा स्थापना समिति कुजू के कोषाध्यक्ष तथा सांसद प्रतिनिधि विश्वनाथ तामसोय ने बताया कि प्रतिमा तराशने का कार्य अंतिम चरण में है. करीब दस फीसदी कार्य बचा है. अगले महीने फरवरी में कुजू के शहीद गंगाराम कालुंडिया चौक में इसे स्थापित कर दिया जायेगा. ताकि आज और कल की पीढ़ियां उनके पराक्रम, उनके बलिदानों और उनके संघर्षों से प्रेरणा ले सके। उन्होंने जमीन, धर्म-संस्कृति बचाने के लिये डैम परियोजना के खिलाफ सशस्त्र जनांदोलन किया था. उन्होंने लोगों को विस्थापन से बचाने के लिये अपनी जान की बाजी तक लगा दी थी और पुलिस की गोली से शहीद हुए थे. इसलिये उनकी स्मृति में हमलोग यहां उनकी प्रतिमा लगा रहे हैं. श्री तामसोय ने लोगों से प्रतिमा स्थापना में सहयोग की अपील की है. इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर">https://lagatar.in/jamshedpur-child-dies-in-the-womb-family-members-accuse-mgm-hospital-of-negligence/">जमशेदपुर: गर्भ में ही बच्चे की मौत, एमजीएम अस्पताल पर परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
ग्रेनाईट पत्थर की होगी प्रतिमा
शहीद गंगाराम कालुंडिया की प्रतिमा को बनाने के लिये ग्रेनाईट पत्थर का उपयोग किया जा रहा है जो प्रतिमा के आकार में आकर भी सबसे सुरक्षित और टिकाऊ माना जाता है. इस आदमकद प्रतिमा को मयूरभंज जिला के केशना गांव के मूर्तिकार सुरेंद्र महंती तराश रहे हैं। अब यह काम समाप्ति पर है. करीब सालभर का वक्त लगा इसे आकार लेने में. अब कुछ दिनों में यह पूर्ण हो जायेगा. इसे भी पढ़ें : FIH">https://lagatar.in/fih-hockey-japan-enters-semi-finals-by-defeating-chile-2-0/">FIHHOCKEY : जापान ने चिली को 2-0 से हराकर सेमीफाइनल में किया प्रवेश
भारत-पाक युद्ध में राष्ट्रपति से हुए थे सम्मानित
शहीद गंगाराम कालुंडिया तांतनगर प्रखंड के इलीगाढ़ा गांव के रहनेवाले थे. फौज में रहते हुए उन्होंने 1971 की जंग में भाग लिया था. इस युद्ध में असाधारण पराक्रम दिखाने के लिये वे तत्कालीन राष्ट्रपति के हाथों शौर्य सम्मान से नवाजे भी गये थे. उन्हें सेना में तरक्की भी दी गयी थी. उनको कांस्टेबल से सूबेदार तक बनाया गया था. इसे भी पढ़ें : बोकारो">https://lagatar.in/bokaro-mla-dc-and-sp-ran-in-run-for-road-safety/">बोकारो: रन फॉर रोड सेफ्टी में दौड़े विधायक, डीसी व एसपी सेना से रिटायर होने के बाद वे गांव आये और ईचा डैम निर्माण के खिलाफ आक्रामक सशस्त्र आंदोलन शुरू किया. इससे डैम निर्माण प्रभावित हो गया था. बिहार सरकार की नींद उड़ गयी थी. हमले के लिये उन्होंने डैम के डूब क्षेत्र के ग्रामीणों को संगठित किया था. इसे भी पढ़ें : टैलेंट">https://lagatar.in/four-news-from-koderma-including-talent-hunt-olympiad-competition-organized-on-21st-january/">टैलेंट
हंट ओलंपियाड प्रतियोगिता 21 जनवरी को समेत कोडरमा की चार खबरें ग्रामीण उनकी एक आवाज पर हमले को तैयार हो जाते थे. कुछ सालों तक आंदोलन के बाद 4 अप्रैल 1982 की सुबह उसका जख्मों से भरा हुआ शव चाईबासा के रोरो नदी किनारे बरामद किया गया था. आरोप है कि बिहार मिलिट्री पुलिस ने साजिश के तहत उसकी हत्या की थी। ताकि डैम निर्माण बाधित ना हो. क्योंकि उसके सशस्त्र आंदोलन और निर्माण में लगे लोगों पर हमले से निर्माण कार्य प्रभावित हो गया था. [wpse_comments_template]